वायरल फीवर का उपचार – Viral Fever Treatment In Hindi

Published June 08, 2024
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वायरल फीवर का उपचार – Viral Fever Treatment In Hindi

Viral Fever Treatment In Hindi
वायरल फीवर: हमारे शरीर में मौसम बदलने के कारण कई बदलाव होते है जिससे हमारे शरीर को रोगों से बचाने वाला इम्युनिटी सिस्टम कमजोर होता जाता है।मौसम के तापमान में उतार चढ़ाव होने से मानव शरीर के तापमान में अंतर आता है। अचानक से हुए इस मौसम बदलाव को कुछ लोगों का शरीर सहन नहीं कर पाता और वे उस दौरान बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं।

वायरल फीवर क्या है

अक्सर जब हमारे शरीर को मौसम बदलने की वजह से वातावरण प्रभावित करता है तो उस दौरान कुछ लोगों में सिर दर्द, बदन दर्द, जोड़ों में दर्द होने के साथ हल्का या तेज़ बुखार हो जाता है।

ऐसा इसलिए होता है की उस बदलते हुए मौसम और पर्यावरण की आवो हवा को हमारा शरीर एकदम से बर्दाश्त नहीं कर पाता। और इस तरह से शरीर का तापमान बढ़ जाने की वजह से हमें जो बुखार आता है इसे वायरल फीवर कहते हैं।

वायरल फीवर उन लोगों को जल्दी हो सकता है, जिनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होती है। हालांकी वायरल फीवर 2-4 दिन में अपने आप भी ठीक हो सकता है, लेकिन कुछ मामलों में इसे गंभीर भी होता देखा गया है। इसीलिए वायरल फीवर के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

वायरल फीवर के लक्षण । Viral Fever Ke Lakshan

  • हाथ पैर और जोड़ों में दर्द होना।
  • आँखों का लाल हो जाना।
  • ठंड लगकर तेज़ बुखार आना।
  • गले में खराश होना, दर्द रहना।
  • सर्दी-खाँसी होना।

ज्यादातर लोगों को होने वाला ये फीवर बहुत ही घातक है। वायरल बुखार से बचने के लिए इसके लक्षण जानना बहुत जरूरी है क्योंकि जब तक बीमारी का पता नही लगता तक उसका इलाज संभव नही है। यदि कोई बीमारी आपको हुई है तो उसके कुछ लक्षण भी होते है.

उसी तरह वायरल बुखार के कुछ लक्षण है जिन्हें आप देख कर पहचान सकते है कि होने वाला भुखार या फीवर वायरल फीवर है या नही. वायरल फीवर जब पहली स्टेज़ पर होता है तो गले में ख़राश, शरीर में थकावट होना, और गले में हल्की ख़ास होना ये वायरल फीवर के लक्षण है.

वायरल बुखार सिम्पटम्स

वायरल फीवर के कारण कई लोग अपनी जान तक गंवा चुके है। और मौसमी बीमारियों के लक्षण पहचानना बहुत ही आसान होता है। ज्यादातर लक्षण इसमें आम बुखार जैसे ही होते हैं।

फीवर ज्यादा बढ़ने में पर शरीर की मांसपेशियों में दर्द होता है। बदन में दर्द होता है और शरीर का तापमान बहुत बढ़ जाता है। तेज़ बुखार आता है, माथे पर हाथ लगाने से तेज़ गर्म प्रतीत होता है।

गले में दर्द के साथ साथ खराश और खांसी का आना, शरीर के जोड़ो में दर्द होना और यदि बुखार ज्यादा बढ़ जाता है तो दस्त और उल्टियाँ भी होने लगते हैं।

वायरल फीवर से बचाव

यहाँ वायरल फीवर से बचाव के लिए कुछ टिप्स दिए जा रहे हैं। अगर आप इन बातों पर अमल करेंगे तो वायरल फीवर से काफी हद तक बचाव किया जा सकता है।

  1. बारिश में भीगने से बचें, अगर भीग गए हों तो घर आकार साफ़ पानी से नहायें।
  2. रोज़ रात को सोने से पहले हल्दी वाला दूध पीने की आदत डालें।
  3. सब्जियों को बनाने से पहले गर्म पानी में नमक डालकर उन्हें धोएं।
  4. बारिश में भीगे हुए कपड़े ज्यादा देर तक न पहनें।
  5. ऐसे फल खाएं जिनका छिलका उतार कर खाया जाता है, जैसे केला।
  6. बाहर के जंक फ़ूड खाने से बचें, खासतोर से चाट वगेरह।
  7. गले में खराश होने पर गर्म पानी के गरारे करें।

तेज़ सर्दी लगना, शरीर पर लाल चकत्ते हो जाना

गर्दन एवं पीठ के ऊपर रेशेज़ (लाल चकत्ते) जैसे निशान होने लगते हैं। शरीर पर इन लाल चकत्तों में खुजली होना बेहद आम बात है। सर्दीयों का मौसम हो या ना हो पर वायरल फीवर होने बहुत तेज़ सर्दी लगती है। गले में ख़राश होने के साथ साथ गले में जलन और दर्द भी होता है जोकि असहनीय होता है।

बुखार होने पर आंखों लाल हो जाती है और आँखों बहुत ज्यादा जलन का अनुभव होता है। जिससे सोने में तकलीफ होती है और एवं गले में ग्रंथियों में सूजन आ जाती है। जिससे खाना खाते समय गलें खाना कांटे की तरह चुबने लगता है। ये सारे लक्षण वायरल फीवर के होते हैं। इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत इसका इलाज करायें।

वायरल फीवर में क्या खाएं

बुखार वायरल फीवर में क्या खाएं – मौसम के बदलते ही यदि आपको शरीर में कोई बदलाब दिखाई दे। या फिर ऊपर दिए गएँ लक्षणों में से कोई भी दो लक्षण यदि शरीर में दिखें तो देर न करें, क्योंकि यह एक घातक फीवर है। इससे बचने के लिए अपने खान पान का ख़ास ख्याल रखें और अपनी खुराक में बदलाब करें। वायरल फीवर होने पर कुछ फलों को खाने में परहेज़ करें।

यदि आप वायरल बुखार से ग्रसित हो गये हैं। तो घबराएँ नहीं, क्योकि वायरल फीवर के उपचार विधि भी बहुत आसान है। सभी बीमारियों को दूर करने में पानी सबसे ज्यादातर मददगार क्योंकि पानी अमृत के समान होता है. वायरल फीवर होने जितना हो सके उतना पानी पीयें क्योंकि ये आपके गले में मौजूद ख़राश और सूजन को खत्म करने में बहुत ज्यादा लाभकारी है.

यदि आप वायरल बुखार के वायरस को दूर करना चाहते है तो आप तुलसी के पत्तों से बनी चाय का सेवन करें। और हो सके तो तुसली के पत्तों को कच्चा ही चबा चबा कर खाएं। जिससे तुसली का रस निकले और ये तुलसी का रस और तुलसी की चाय गले की समस्या और गले को सूजन को कम करता है।

वायरल फीवर में क्या न खाएं

ज्यादातर लोगों को जब वायरल फीवर होता है तो उन्हें खाने में स्वाद नही आता है। लेकिन फीवर को दूर करने के लिए आपके उबली हुई सब्जियों का सेवन करें। बिना मिर्च और बिना मसलों वाला खाना खाएं। क्योंकि ज्यादा तला भुना और मसालेदार खाने को पचाने के लिए बहुत उर्जा चाहिए होती है।

शरीर की उर्जा को वायरल फीवर ख़त्म कर देता है जिसके कारण दस्त और उल्टी होने लगती हैं। इसलिए बिना मसालेदार और उबली हुई सब्जियों का ही सेवन करें। हरी सब्जियों का सूप पीयें क्योंकि ये सूप आपके शरीर के जरूरी पोषक तत्व एवं प्रोटीन देता है। जिससे आपका इम्युनिटी सिस्टम मजबूत होता है। इससे रोगों से लड़ने की शक्ति भी आती है.

वायरल फीवर का घरेलू इलाज

वायरल फीवर होने पर किशमिश (बड़ी दाख) मुनक्का ज़रूर खाएं। मुनक्का खाने से शरीर में ताकत आती है। इसलिए फीवर होने मुनक्का का सेवन जरूर करें। किशमिश में एंटीऑक्सीडेंट गुण भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं जो आपके शरीर में फीवर के वायरस को जड़ से मिटाने में सहायक होते हैं।

बड़ी दाख यानी के मुनक्का को अगर लहसुन के साथ मिला कर सेवन किया जाए तो ये भी वायरल फीवर में आपके लिए बहुत उपयोगी साबित होता है। ऐसा इसीलिए होता है कि लहसुन आपके शरीर में गर्मी पैदा करता है।

किशमिश बुखार आने पर सर्दी को कम करता है। आमतौर पर वायरल बुखार लगभग 2-4 दिनों के लिए आता है, या अधिक से अधिक ये एक सप्ताह तक बना रहता है। लेकिन सही समय पर इलाज ना किया जाए तो ये कई दिनों तक बना रह सकता है।

वायरल फीवर ट्रीटमेंट इन आयुर्वेद

बुखार आने पर ये सुनिश्चित कर लें कि ये बुखार वायरल बुखार है या नही। यदि वायरल बुखार है और शरीर का तापामान 103 डिग्री से ज्यादा हो रहा है, तो सादा पानी में सूती कपड़े की पट्टियाँ माथे पर रखें।

जब आप माथे पर गीली पट्टियों को रखते हैं तो ये तुरंत शारीरिक तापमान को नियंत्रित करने में तेज़ी से काम करता है। इसकी वजह से तेज़ बुखार भी तुरंत उतर जाता है। बुखार बढ़ने पर मरीज को सुबह, दोपहर और शाम को पेरासिटामोल की एक एक गोली दें।


याद रहे आपको सिर्फ पेरासिटामोल की गोली देनी और कोई अन्य गोली या दवा देने से पहले डॉक्टर की सलाह लें। बुखार होने पर मरीज को ज्यादा काम नही करने देना है। जितना हो सके उतना आराम करने देना है।

आयुर्वेद में हर तरह की बीमारी का इलाज है. और वायरल बुखार को दूर करने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपाय है जिन्हें आप आसानी से अपने घर पर कर सकते है.

वायरल फीवर के लिए घरेलू नुस्खे

तुलसी, अदरक और लौंग का काढ़ा बनाकर बुखार होने पर दिन में कम से कम दो से तीन बार पीयें। बुखार के वायरस को ये खत्म कर देगा। क्योंकि लौंग शरीर में गर्मी पैदा करेगा और तुलसी के एंटीबायोटिक गुण वायरस को शरीर से दूर करने में मदद करते हैं। चाय में इन सभी को मिलाकर कर मरीज को रोजाना दें।

वायरल फीवर का ये आसान और घरेलू नुस्खा बहुत कारगार है। इससे मौसमी बीमारियाँ भी ठीक हो जाती हैं।

आयुर्वेद में धनिये के गुणों के बारे में बताया गया है। धनिया में बहुत सारे एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। धनिये की पट्टियों को चबाने से भी बुखार के वायरस शरीर से ख़तम हो जाते हैं। लेकिन यहाँ हम आपको एक वैधानिक सलाह देंगे की कुछ भी करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।

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